ये पवित्रतम बहुमुल्य धातु अंगूठी के रूप मे पहनने पर भाग्योदय, कार्य सिद्धि और धन प्राप्ति के प्रबल मार्ग बनाती है। इसके अलावा कई प्रकार की बाधाओ जैसे के शत्रु बाधा, धन बाधा, कार्य बाधा आदि के निवारण करती है।
पारामणि अष्टधातु अंगूठी के अनोखे लाभ
- व्यापार वृद्धि
- धन वृद्धि
- कार्य सिद्धि
- स्वास्थ लाभ
- नवग्रह शांति
- सम्मान में बढ़ोतरी
GAM मार्का धातु की शुद्धता की पहचान है।
पारामणि अष्टधातु अंगूठी को कौन और कैसे धारण कर सकते है
- इसे किसी भी राशि का व्यक्ति पहनकर लाभ प्राप्त कर सकता है।
- यह विशिष्ट अंगूठी स्त्री और पुरुष दोनों ही धारण कर सकते है।
- इस अंगूठी को किसी भी राशि, उम्र, जाति और धर्म के लोग धारण कर सकते है और यह सभी पर अपना प्रभाव डालती है।
- जो भी इस अंगूठी को विश्वास के साथ धारण करता है उसे सभी कार्य आसानी से पूर्ण हो जाते है। साथ ही उस पर से परेशानियों का साया भी हट जाता है।
- ज्योतिष और विज्ञानं दोनों ही दृष्टि से यह अंगूठी बेहद लाभकारी है।
- इसको धारण करने से आप धन लाभ तो पाते ही है साथ ही आप का स्वास्थय भी उत्तम बना रहता है
अष्टधातु पहनने के फायदे
- व्यापार के विकास और भाग्य जगाने के लिए शुभ मुहूर्त में अष्टधातु की अंगूठी धारण करें।
- यदि आप अष्टधातु अंगूठी पहनते हैं तो आप सभी नौ ग्रहों से होने वाली पीड़ा को शांत कर सकते हैं।
- अष्टधातु का मनुष्य के स्वास्थ्य से गहरा संबंध है। यह हृदय को भी बल देती है एवं मनुष्य की अनेक प्रकार की बीमारियों को निवारण करती है।
- अष्टधातु की अंगूठी धारण करने पर यह मानसिक तनाव को दूर कर मन में शांति लाती है।
- यह वात, पित्त, कफ का इस प्रकार सामंजस्य करती है कि बीमारियां कम होती हैं एवं स्वास्थ्य पर अच्छा असर रहता है।
- अष्टधातु मस्तिष्क पर भी गहरा प्रभाव डालती है। अष्टधातु पहनने से व्यक्ति में तीव्र एवं सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ जाती है।
- अष्ट धातु कई प्रकार की बाधा ओजैसे के शत्रु बाधा, धन बाधा, कार्य बाधा आदि को रोकने में बहुउपियोगि है।
- अष्ट धातु मे प्रयुक्त आठ धातुए नव ग्रहो को संतुलीत करती है जिससे भाग्य जागृत होता है एवं कठिनाईयो से निजात मिल कर कार्यो मे सफलता सुनिश्चित होती है
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अष्ट धातु के पौराणिक प्रमाण।
अष्टधातु की क्षमता, उपियोगीता एवं ज्योतिष लाभ के प्रमाण सुश्रुत संहिता, भविष्य पुराण आदि प्राचीनतम ग्रंथो सहित Wikipedia पर भी लेखों के मध्यम से उपलब्ध है।
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आपके कुछ सामान्य प्रश्न
ज्योतिष शास्त्र में अष्टधातु का बड़ा महत्व है। कई पाप ग्रहों का दुष्प्रभाव और पीड़ा दूर करने के लिए अष्टधातु की अंगूठी को पहना जाता है । भगवान की कई मूर्तियां भी अष्टधातु की बनाई जाती है। इसका कारण है इसकी शुद्धता। अष्टधातु का अर्थ है आठ धातुओं का मिश्रण। इनमें आठ धातुएं सोना, चांदी, तांबा, सीसा, जस्ता, टिन, लोहा, तथा पारा शामिल किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर धातु में ऊर्जा होती है। धातु अगर सही समय में और ग्रहों की सही स्थिति को देखकर धारण की जाए तो उसका सकारात्मक प्रभाव पहनने वाले को मिलता है। इसी सिद्धांत के आधार पर विभिन्न् ग्रहों की पीड़ा दूर करने के लिए उनके संबंधित रत्नों को भी अष्टधातु में पहनने का विधान है।
अष्ट-धातु विशिष्ट फलदायी एवं नव ग्रहो को बल देने वाली धातु है साथ ही राहु के कष्ट्दायि कुप्रभावो को शांत करती है, जीसे किसी भी राशि,धर्म ,लिंग का व्यक्ति पहन लाभ प्राप्त कर सकता है । अगर व्यापर या पेशे मे कठिनायि, कार्यो मे रुकावट या मानसिक तनाव हमेशा बना रहता है तो अपनी नाम राशि के अनुसार सही समय और तरीके से पहन इसके सकरात्मक परिणाम देख सकते है।
शाश्त्रों के अनुसार पारामणि अंगूठी महिलाओं को बाए हाथ (उल्टा हाथ या लेफ्ट हैंड) की अनामिका ,तर्जनी या मध्यमा ऊँगली में धारण करना होगा ,वही पुरुषों को दाएं हाथ (सीधा हाथ या राइट हैंड) की अनामिका ,तर्जनी या मध्यमा ऊँगली में धारण करना होगा.
शुद्ध अष्ट धातु की पहचान लैब टेस्ट द्वारा आसानी से हो जाती है, इसके अलावा रत्नकोष अष्ट धातु की अंगूठी के साथ 6 माह की बाय बैक वारंटी प्राप्त होती है।
रेकी एक ज्योतिष विज्ञान की पद्धति है जिसे द्वारा उर्जाओ को संयोजित किया जाता है। जिसके मध्यम से अंगूठी का बल बढ़ जाता है और प्रभावशील होजाती है ।