ये पवित्रतम बहुमुल्य धातु अंगूठी के रूप मे पहनने पर भाग्योदय, कार्य सिद्धि और धन प्राप्ति के प्रबल मार्ग बनाती है। इसके अलावा कई प्रकार की बाधाओ जैसे के शत्रु बाधा, धन बाधा, कार्य बाधा आदि के निवारण करती है।

पारामणि अष्टधातु अंगूठी के अनोखे लाभ 

GAM मार्का धातु की शुद्धता की पहचान है।

पारामणि अष्टधातु अंगूठी को कौन और कैसे धारण कर सकते है

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    अष्टधातु पहनने के फायदे

    घर बैठे मंगाए अष्टधातु अंगूठी।

    999 /- रुपये के अतिरिक्त अन्य कोई एक्स्ट्रा चार्ज नहीं है ।

    जानकारी के लिए संपर्क करे : +91-9993055423

    info.pragmaticinc@gmail.com

     
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    अष्ट धातु के पौराणिक प्रमाण।

    अष्टधातु की क्षमता, उपियोगीता एवं ज्योतिष लाभ के प्रमाण सुश्रुत संहिता, भविष्य पुराण आदि प्राचीनतम ग्रंथो सहित Wikipedia पर भी लेखों के मध्यम से उपलब्ध है।

    Identification report & product warranty

    इस अद्भुत पारामणि अष्टधातु अंगूठी को 15000 से अधिक लोगों ने खरीदा है

    Shyamil Solanki
    5/5

    Genuine Product, जो मैंने अभी खरीदा है और अच्छा महसूस कर रहा हूं।

    Rahul Sharma
    Rahul Sharma
    @rahul_sharma001
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    अद्भुत अंगुठी के धारण करते ही मुझे अच्छा लगने लगा और मेरे काम आसन होने लगे हैं, इतनी अद्भुत अंगूठी के लिए धन्यवाद रतनकोष
    Mansi Thanku
    Mansi Thanku
    @mansi0548
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    Thank you for the beautiful ring, I am very pleased with it
    Tanu
    Tanu
    @tanu123
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    विश्वास नहीं था पर थोड़े समय मुझे इस अंगूठी के फायदे दिखने लगे। अंगूठी नहीं मेरे लिए तो प्रसाद साबित हुई है। बता नहीं सकता कितना बदलाव महसूस कर रहा हूं।
    Ravi
    @ravishukla2323
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    मैंने अपने पूरे परिवार के लिए बुला ली है। जल्दी भिजवाए आपका आभार मेरे लिए बहुत सही है अंगूठी |
    Tanya Jangid
    Tanya Jangid
    @tanusharma
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    देखने के लिए ली थी, पर अब यह मेरे जीवन का हिस्सा है, मेरे कई काम बन रहे हैं।

    पारामणि अंगूठी से जुड़े
    आपके कुछ सामान्य प्रश्न

    ज्योतिष शास्त्र में अष्टधातु का बड़ा महत्व है। कई पाप ग्रहों का दुष्प्रभाव और पीड़ा दूर करने के लिए अष्टधातु की अंगूठी को पहना जाता है । भगवान की कई मूर्तियां भी अष्टधातु की बनाई जाती है। इसका कारण है इसकी शुद्धता। अष्टधातु का अर्थ है आठ धातुओं का मिश्रण। इनमें आठ धातुएं सोना, चांदी, तांबा, सीसा, जस्ता, टिन, लोहा, तथा पारा शामिल किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर धातु में ऊर्जा होती है। धातु अगर सही समय में और ग्रहों की सही स्थिति को देखकर धारण की जाए तो उसका सकारात्मक प्रभाव पहनने वाले को मिलता है। इसी सिद्धांत के आधार पर विभिन्न् ग्रहों की पीड़ा दूर करने के लिए उनके संबंधित रत्नों को भी अष्टधातु में पहनने का विधान है।​

    ज्योतिष शास्त्र में अष्टधातु का बड़ा महत्व है। कई पाप ग्रहों का दुष्प्रभाव और पीड़ा दूर करने के लिए अष्टधातु की अंगूठी को पहना जाता है । भगवान की कई मूर्तियां भी अष्टधातु की बनाई जाती है। इसका कारण है इसकी शुद्धता। अष्टधातु का अर्थ है आठ धातुओं का मिश्रण। इनमें आठ धातुएं सोना, चांदी, तांबा, सीसा, जस्ता, टिन, लोहा, तथा पारा शामिल किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर धातु में ऊर्जा होती है। धातु अगर सही समय में और ग्रहों की सही स्थिति को देखकर धारण की जाए तो उसका सकारात्मक प्रभाव पहनने वाले को मिलता है। इसी सिद्धांत के आधार पर विभिन्न् ग्रहों की पीड़ा दूर करने के लिए उनके संबंधित रत्नों को भी अष्टधातु में पहनने का विधान है।​

    अष्ट-धातु विशिष्ट फलदायी एवं नव ग्रहो को बल देने वाली धातु है साथ ही राहु के कष्ट्दायि कुप्रभावो को शांत करती है, जीसे किसी भी राशि,धर्म ,लिंग का व्यक्ति पहन लाभ प्राप्त कर सकता है । अगर व्यापर या पेशे मे कठिनायि, कार्यो मे रुकावट या मानसिक तनाव हमेशा बना रहता है तो अपनी नाम राशि के अनुसार सही समय और तरीके से पहन इसके सकरात्मक परिणाम देख सकते है।

    शाश्त्रों के अनुसार पारामणि  अंगूठी महिलाओं को बाए हाथ (उल्टा हाथ या लेफ्ट हैंड) की अनामिका ,तर्जनी या मध्यमा ऊँगली में धारण करना होगा ,वही पुरुषों को दाएं हाथ (सीधा हाथ या राइट हैंड) की अनामिका ,तर्जनी या मध्यमा ऊँगली में धारण करना होगा.

    शुद्ध अष्ट धातु की पहचान लैब टेस्ट द्वारा आसानी से हो जाती है, इसके अलावा रत्नकोष अष्ट धातु की अंगूठी के साथ 6 माह की बाय बैक वारंटी प्राप्त होती है।

    अष्ट धातु की अंगूठी के प्रकार से धारण की जाती है। प्राप्त करने के बाद इसे पवित्र नदी के जल से स्नान करवा कर राशि अनुसार मुहूर्त मे दाहिने हाथ या बाये हाथ की तर्जनी या मध्यमा मे पहन सकते है। अगर आप का बुध कमजोर है तो से अनामिका मे धारण करने से बहुत लाभ है।

    रेकी एक ज्योतिष विज्ञान की पद्धति है जिसे द्वारा उर्जाओ को संयोजित किया जाता है। जिसके मध्यम से अंगूठी का बल बढ़ जाता है और प्रभावशील होजाती है ।

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